Interview

Interviews under Articles

डॉ मुन्‍डा ने क्‍यों कहा था? बिजनेसमैन की तरह बात करना हमारी विवशता है..

by admin on Tue, 01/03/2023 - 20:15

डॉ रामदयाल मुंडा का अंतिम दिनों का वह इंटरव्‍यू जो खूब चर्चा में रहा था.. 
यहां देखिये पूरा इंटरव्‍यू 10 मिनट का.. https://youtu.be/rx4t0y6bY_0

गौ रक्षकों का मोदी की बात न सुनना चिंताजनक : हामिद

by admin on Sun, 07/15/2018 - 21:42

नई दिल्ली: पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कहना है कि देश में 'अतिसतर्कता' उफान पर है और यदि गौ रक्षक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात भी नहीं सुनते हैं तो यह चिंता का विषय है।

अंसारी ने अपनी नई किताब 'डेयर आई क्वेस्चन' के विमोचन से पहले आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, "मोदी एक मजबूत नेता हैं। वह अपनी पार्टी के निर्विवाद नेता हैं। अगर उनकी बात नहीं सुनी जा रही है, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। यह कहने की कोई जरूरत नहीं कि उनकी पार्टी के ही लोग उनकी बात नहीं मान रहे हैं। यह निष्कर्ष मैं नहीं निकाल रहा हूं।"

तीसरा मोर्चा नहीं बनेगा, पूरा विपक्ष एकजुट होकर लड़ेगा अगला चुनाव: शरद यादव

by admin on Wed, 05/16/2018 - 10:17

जनता दल के वरिष्ठ नेता नेता शरद यादव ने अगले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा की चुनौती से निपटने के लिये तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद को नकारते हुये सभी विपक्षी दलों के एकजुट होने का भरोसा जताया है। यादव ने कहा, ऐसा तीसरा मोर्चा बनने के कोई आसार उन्हें नजर नहीं आते।

कला के व्यावसायीकरण से उभरती हैं नई प्रतिभाएं : सतीश गुजराल

by admin on Sun, 12/10/2017 - 21:03

नई दिल्ली: कला बाजार के व्यापक व्यावसायीकरण पर दिग्गज चित्रकार जतिन दास समेत कई बड़े कलाकारों ने निराशा जताई है, लेकिन समकालीन भारतीय कला के अगुआ सतीश गुजराल का मानना है कि व्यावसायीकरण नई प्रतिभा के उत्थान को भी प्रेरित करता है।

गुजराल ने कहा कि व्यावसायीकरण का प्रभाव निश्चित रूप से जागरूकता के रूप में भी हुआ है। हाल ही में गुजराल की मूर्तिकला 'ट्रिनिटी' को बीकानेर हाउस में प्रदर्शित किया गया था।

मोदी जितना हमला करेंगे, कांग्रेस की गुजरात जीत उतनी आसान होगी : गहलोत

by admin on Thu, 12/07/2017 - 12:12

अहमदाबाद: गुजरात में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी को कांग्रेस खेमे में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी पार्टी और राहुल गांधी पर और अधिक जुबानी हमले करें, ताकि कांग्रेस की जीत बिल्कुल सुनिश्वित हो जाए। 

राज्य में चुनाव प्रचार की बढ़ती सरगर्मी के बीच गहलोत ने मोदी पर 'झूठ बोलने' और 'झूठे वादे' करने का आरोप लगाया। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि मोदी का पर्दाफाश हो चुका है और लोग अब उनके झांसे में नहीं आएंगे।

अब किसान आंदोलन नए युग में प्रवेश कर गया है : योगेंद्र

by admin on Thu, 11/30/2017 - 19:47

नई दिल्ली: किसानों को हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव का कहना है कि देश में किसान सर्वाधिक पीड़ित और सताया हुआ है। एक बार किसानों की हालत सुधर जाए तो बाकी समस्याएं खुद ही सुलझ जाएंगी। उनका कहना है कि वह अंतिम सांस तक किसानों के मुद्दे उठाते रहेंगे। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले 20-21 नवंबर को योगेंद्र के नेतृत्व में अपने तरह की अनोखी किसान मुक्ति संसद आयोजित हुई थी, जिसमें देशभर के 184 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान कृषि ऋण माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर दो विधेयकों का मसौदा भी पेश हुआ था।

नदियां भी बन रही वोट का जरिया, नेताओं के साथ पंक्ति में कई 'बाबा राम रहीम' भी - राजेंद्र सिंह

by admin on Thu, 11/09/2017 - 17:59

ग्वालियर: देश में नदियां भी अब राजनीतिक दलों के लिए वोट का जरिया बनती जा रही हैं, कोई गंगा की बात कर रहा है तो कोई नर्मदा और कोई सारे देश की नदियों की। नेताओं के साथ बाबाओं के आने से सवाल उठ रहे हैं। स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित और 'जलपुरुष' के तौर पर चर्चित राजेंद्र सिंह भी नेताओं के साथ खड़े हो रहे बाबाओं से चिंतित हैं, उनका मानना है कि इन बाबाओं में भी कई 'राम रहीम' और 'आसाराम बापू' जैसे साबित होंगे। 

पुरस्कार काफी मायने रखता है : उषा उत्थुप

by admin on Tue, 11/07/2017 - 18:58

नई दिल्ली: गायिका उषा उत्थुप एक जाना-पहचाना नाम हैं, उनके गाए गीत 'रम्बा हो', 'हरी ओम हरी' और 'कोई यहां आहा नाचे-नाचे' आज भी बेहद चाव से सुने जाते हैं। उन्होंने करीब 16 भाषाओं में गाने गाए हैं, जिसमें बंगाली, हिंदी, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, अंग्रेजी, डच, फ्रेंच, जर्मन गाने भी शमिल हैं। गायिका के लिए पुरस्कार बेहद मायने रखते हैं। उन्होंेने अपनी अलग आवाज के साथ पॉप गायन में एक खास पहचान बनाई है। इस मुकाम तक पहुंचने का श्रेय वह अपने परिवार को देती हैं। 

मार्क टुली : पत्रकारिता से कथा लेखन की ओर

by admin on Tue, 11/07/2017 - 18:39

नई दिल्ली: अधिकांश भारतीयों से भी ज्यादा भारतीय परिवेश में रचे-बसे सर मार्क टुली का लालन-पालन भले ही अंग्रेजियत के साथ हुआ, लेकिन उनको भारत से लगाव बचपन से ही रहा है। 

जीवन के अस्सी से ज्यादा वसंत देख चुके जानेमाने ब्रॉडकास्टर व लेखक कभी पादरी बनने की आकांक्षा रखते थे और इसके लिए उन्होंने धर्मशास्त्र में डिग्री भी हासिल की। लेकिन बाद में घटनाक्रम कुछ ऐसा बदला उन्हें भारत वापस लौटना पड़ा। टुली बताते हैं कि पत्रकारिता उनकी पसंद नहीं थी, लेकिन नियति को यही मंजूर था और भारत जो शुरू में उनको पहचान नहीं दिला पाया आज वही उनका घर है।