सेंगेल अभियान के अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने रांची प्रशासन पर पक्षपात पूर्ण रवैया का आरोप लगाते हुए रांची के एसडीओ के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रदेश के राज्यपाल को पत्र लिखकर शिकायत की है और गंभीर कार्रवाई की मांग की है। पत्र में मांग की गई है:
1) कृपया आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा आपको प्रेषित 5 मई 2022 के पत्र का अवलोकन करें। जो संलग्न है। हमलोग 02.05.2022 को आपसे भेंट कर इस मामले पर आपको ज्ञापन पत्र प्रदान करना चाहते थे मगर आप आउट ऑफ स्टेशन थे।
2) एसडीओ, सदर, रांची झारखंड ने जिन कारणों से अंतिम क्षणों (29.4.22) में हमें 30 अप्रैल 2022 को मोरहाबादी मैदान, रांची में जनसभा करने की अनुमति अस्वीकार किया वहीं पर रविवार, 5 जून 2022 को भाजपा बिरसा मुंडा विश्वास जनसभा को मोराबादी मैदान रांची में अनुमति प्रदान किया। हमारी नजर में यह बिल्कुल पक्षपातपूर्ण, विवेकहीन, एक गैर जिम्मेदाराना, मनमानीपूर्ण आदिवासी विरोधी फैसला है। अतः जांच उपरांत एसडीओ, सदर, रांची के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की मांग करते हैं।
3) एसडीओ सदर, रांची द्वारा हमें अनुमति नहीं देने का फैसला बिल्कुल पक्षपातपूर्ण, विवेकहीन और अभिव्यक्ति के मूल अधिकार अनुच्छेद- 19 के खिलाफ एक फैसला है।
4) यह दुर्भाग्यपूर्ण फैसला आदिवासी जनमानस को बेइज्जत करने, प्रताड़ित करने, डराने और निराश करने वाला फैसला है। मूल अधिकार, अनुच्छेद -21का उल्लंघन है।
5) आदिवासी सेंगेल अभियान को जिन कारणों से अंतिम क्षणों में अनुमति अस्वीकार किया गया है अफसोसजनक, दुर्भाग्यपूर्ण और गलत है। यदि कोरोना ही कारण था और है, तब रविवार, 5.6.2022 को मोरहाबादी मैदान, रांची में भाजपा को बिरसा मुंडा बिश्वास जनसभा करने का अनुमति कैसे दिया गया? क्या यह पक्षपातपूर्ण नहीं है?
6) आपने अपने संवैधानिक दायित्वों के तहत कतिपय जनप्रतिनिधियों (सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आदि) के खिलाफ प्राप्त भ्रष्टाचार आदि के शिकायतों पर उचित कार्रवाई हेतु चुनाव आयोग, भारत को प्रेषित किया है। जो आज जनहित में कौतूहल का विषय बना हुआ है, सही है।
7) झारखंड आदिवासी बहुल प्रदेश है। अधिकांश क्षेत्र अनुसूचित क्षेत्र है। आदिवासी हितों की रक्षार्थ संरक्षक के दायित्व में राज्यपाल होते हैं। अतएव जैसे कोई जनप्रतिनिधि संविधान, कानून और जनहित के प्रति उत्तरदायी है उसी प्रकार कोई भी नौकरशाह या एग्जीक्यूटिव (कार्यपालिका- पुलिस प्रशासन) भी संविधान, कानून और जनहित के प्रति उत्तरदायी है। संताली राजभाषा जनसभा (30.4.2022) को मोराबादी मैदान रांची में एसडीओ द्वारा अनुमति नहीं प्रदान करना पक्षपातपूर्ण और मनमानीपूर्ण, आदिवासी बिरोधी कार्रवाई है। इसके लिए एस डी ओ, रांची सीधे-सीधे दोषी लगते हैं। अतएव उनके खिलाफ त्वरित जांच और उचित कार्रवाई अनिवार्य है। कृपया संज्ञान लें।
8) भारतीय निर्वाचन आयोग भारत के निर्वाचित प्रतिनिधियों, चाहे वो विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री ही क्यों न हो, पर पैनी नजर रखता है। समय-समय पर अयोग्य साबित होने पर बर्खास्तगी का फैसला भी सुनाता है जो सर्वमान्य होता है और पुरे देश में लागू होता है। उसी तरह देशहित में और जनहित में प्रशासनिक अधिकारियों का निष्पक्ष, विवेकपूर्ण और पारदर्शितापूर्ण कार्य करना भी अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है। अत: इसे सुनिश्चित करने के लिए भी कठोर और पारदर्शी व्यवस्था की आवश्यकता है। अगर ऐसे कार्यों के निष्पादन के लिए कोई सम्बंधित आयोग या बॉडी नहीं है तो उसका गठन भी किया जाये। हमारी समझ से ऐसी कोई संस्था से एसडीओ के इस अविवेकपूर्ण क्रियाकलाप की जाँच करवाई जाये और उन्हें बर्खास्त किया जाये।
9) हमारी दृष्टिकोण में इस संदर्भ में एसडीओ, रांची के क्रिया- कलाप एससी/ एसटी उत्पीड़न एक्ट 1989 को भी आकर्षित करता है।
10) अंतिम क्षणों में जनसभा की अनुमति अस्वीकृति कोई एक षड्यंत्र का हिस्सा प्रतीत होता है। इसके कारण आदिवासी सेंगेल अभियान के 5 प्रदेशों और नेपाल, बांग्लादेश आदि के कार्यकर्ताओं को भारी आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ा है।
अतः आदिवासी सेंगेल अभियान आपसे सविनय आग्रह करता है कि आप इस मामले पर त्वरित उचित कार्रवाई करने की कृपा करें। ताकि कोई भी अफसर गलत कार्य करने का साहस ना करें। यह आर्थिक भ्रष्टाचार से भी बड़ा संवैधानिक भ्रष्टाचार है।
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