सुप्रीम कोर्ट ने माना वेश्‍यावृत्ति पेशा है, पुलिस परेशान न करे

by admin on Fri, 05/27/2022 - 12:07

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को पेशा माना है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि पुलिस इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकती और न ही सहमति से यह काम करने वाले सेक्स वर्करों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है। कोर्ट ने सभी राज्यों की पुलिस को सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने का निर्देश दिया है। बेंच ने सेक्स वर्करों के अधिकारों की रक्षा के लिए दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने इन सिफारिशों पर सुनवाई की अगली तारीख 27 जुलाई तय की है। केंद्र को इन पर जवाब देने को कहा है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से क्या कुछ कहा गया है-

पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वह उनके साथ गरिमामय तरीके से पेश आएं। उनके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल न हो।

मीडिया से कहा है कि वह किसी भी तरह से सेक्स वर्करों और उनके क्लाइंट की तस्वीर न दिखाएं और न ही छापें। कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा-354 सी के तहत उन्हें सुरक्षा मिली हुई है। इसके तहत प्रावधान है कि किसी के भी निजी कार्यों की तस्वीर नहीं ली जा सकती और न ही दिखाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि सेक्स वर्करों और उनके बच्चों को बुनियादी मानवीय मर्यादा और गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। इन्हें सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अन्य सिफारिश पर केंद्र और राज्य से जवाब दाखिल करने को कहा है। कहा कि 8 हफ्ते में उन सिफारिशों पर जवाब दें, जिनमें कहा गया है कि सेक्स वर्करों को क्रिमिनल लॉ में समान अधिकार मिले हुए हैं।

उम्र के हिसाब से सहमति का मामला है और ऐसे में पुलिस आपराधिक कार्रवाई से परहेज करे। उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।

यौन उत्पीड़न की शिकार सेक्स वर्कर को सहूलियतें दी जाएं। मेडिकल से लेकर कानूनी सहायता दी जाए।

राज्य सरकार आईटीपीए प्रॉटेक्टिव होम का सर्वे करवाए। यह देखे कि वहां कितनी बालिग महिलाएं हैं, जो अपनी मर्जी के बिना रखी गई हैं। उन्हें समयबद्ध तरीके से रिहा किया जाए।

पुलिस के रवैये से ऐसा लगता है कि सेक्स वर्करों का कोई अधिकार ही नहीं होता। पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों को संवेदनशील बनाया जाए।

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Supreme Court admits prostitution is profession, police should not disturb